अभिजात के
पोल्ट्री फार्म में
पल रहे चूजे,
पर चूजों की नहीं
कोई जात।
फुदकते
दाना चुगते
कब सोचा चूजों ने-
उन्हें भी
बन जाना होगा
भोजन
सामने पड़े
चुग्गे की भांत।
और यह भी
कब सोचा
चूजों ने
कि जिनकी भुजाओं को
वे बनाएंगे
बलिष्ठ,
पुष्ट करेंगे
अंग-प्रत्यंग
और जिनकी धमनियों में
रक्त बन दौड़ेंगे,
होगी भला उनकी
जात क्या!
2004