Last modified on 15 अप्रैल 2020, at 15:39

मुर्गा मामा (गीत) / मधुसूदन साहा

मुर्गा मामा, मुर्गा मामा
क्यों तुम बांग लगाते हो?
जब आती है नींद ज़ोर से
आकर मुझे जगाते हो

तुमको नींद न आती है?
निंदिया नहीं सताती है?
पौ फटने से पहले आकर
अपना बिगुल बजाते हो।

क्या तुम को भी पढ़ना है?
ज्ञानमार्ग पर बढ़ना है?
"कुकड़ू कूँ" रटने की खातिर
तड़के ही उठ जाते हो।

कलगी मुझको भाती है
लाली बहुत लुभाती है
क्या इसको दमकाने को
पहली किरण लगते हो?