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मुश्किल यह है / भारत भूषण अग्रवाल

मुश्किल यह है कि मैं
ज़िंदगी को एक इमारत की तरह गढ़ना चाहता था
एक नक्शे के अनुसार
और क्योंकि नक्शा
हर कलैण्डर के साथ बदलता गया
इसलिए हर बार अधबनी इमारत में
तोड़फोड़ करनी पड़ी