मुश्किल है मरहला आपका
करे ईश्वर भला आपका
ईद आने दें तब देखेंगे
नफ़रत का फ़ैसला आपका
किसको ग़रज़ पड़ी है देखे
किससे क्यों सिलसिला आपका
कैसे कोई यक़ीं करेगा
गला छाछ से जला आपका
शायद ग़लत गवाही देकर
बैठ गया है गला आपका
औरों के चक्कर में शायद
पिछड़ रहा क़ाफ़िला आपका
आप कहाँ हैं ‘अनवर’ साहब
बदल गया अब ज़िला आपका