मूर्तिकार
मिट्टी को गूंथकर
मूरत बनाता है
बनाकर सुखाता है
रंगों से सजाता है
मूरत को सजाकर
भगवान बनाता है
मंदिर में लगाता है
मूर्ति लगाकर
बाहर जो आता है
बाहर ही रह जाता है
भगवान का निर्माता
अछूत हो जाता है
1985
मूर्तिकार
मिट्टी को गूंथकर
मूरत बनाता है
बनाकर सुखाता है
रंगों से सजाता है
मूरत को सजाकर
भगवान बनाता है
मंदिर में लगाता है
मूर्ति लगाकर
बाहर जो आता है
बाहर ही रह जाता है
भगवान का निर्माता
अछूत हो जाता है
1985