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मृत्यु-1 / शुभाशीष चक्रवर्ती

मृत्यु संग न ले जाने का हठ कर रही है
मैं उसकी गोद में कूद जाता हँ
जीवन हँसता है
और
घेर लेता है
अपने शुरुआत के दिनों से