मृत्यु अन्त है सब कुछ ही का फिर क्यों धींगा-धींगी, देरी? मुझे चले ही जाना है तो बिदा मौन ही हो फिर मेरी! होना ही है यह, तो प्रियतम! अपना निर्णय शीघ्र सुना दो- नयन मूँद लूँ मैं तब तक तुम रस्सी काटो, नाव बहा दो! 1935