मेरी मां बिना मेकअप वाली औरतों को पसंद नहीं करती
‘क्या है जिसे वे छिपा नहीं रहीं’
मतलब कोई मुर्दा चीज़ है जो बची है
और बची ही नहीं बल्कि जिंदा है
मैं जो कुछ भी कहती हूं वह
बादलों को बिल्कुल शांत कर देती है
जैसे वे उस खूबसूरत मुर्दा चीज़ को जानते हों
बिल्कुल असल, कोई मस्कारा नहीं, कोई सबूत नहीं
नीला आकाश, खाली चेहरा
एक विश्वसनीय झूठा खाली चेहरा नकली पैंदा
दुख जैसे जेहन में छुपा बैठा खरगोश
त्वचा जैसे कोई सहमत विचार वाला मूर्खतापूर्ण एकांकी
मेले में हर बच्चे के गाल इंद्रधनुष हो जाते हैं
ईश्वर मुझे मेरा चमकदार व्यक्तित्व दो
हर सांस जैसे एक खेल है
जियो हमेशा
मैं बहुत छोटी हूं
मुझे एक गुमनामी को दूसरी गुमनामी से
मिलाने के लिए मत कहना
मैं कहती हूं कि
मुर्दा चीज़ों को गुलाबी रंग दो कि इससे
वे सूर्योदय नहीं हो जाएंगी
जीवितों को नीला रंग दो कि
इससे वे आकाश, समुद्र, रसदार फल या कि
मुर्दा नहीं हो जाएंगे
ईश्वर हमें बख्श दो
हमारे कपड़ों को छोड़ दो
हमें नाकों चने मत चबवाओ
हमारी त्वचा को भीतरी परत तक उधेड़ दो
धरती भी साल में एक बार रंग बदलती है
लाल पत्ते पहने हुए जैसे
दरख्त बजाते हैं दुख और दर्द.