मेघा! रे मेघा!! पानी दे
प्यासी धरती पानी दे
रीते नैन में पानी दे
जीव को नई जिं़दगानी दे
प्यासे प्राणी पानी दे
धरती को चादर धानी दे!
टप टप टप टप पड़े बुंदनियां
टपकी आँख की कोर
टूटी आस लगी है जुड़ने
देखे नभ की ओर
सबको आस सुहानी दें
खेत को चादर धानी दे
हर राजा को रानी दे
रानी बड़ी सयानी दे
चमक-दमक के गरज-गरज के
आये हैं धनशाम
भीग गये तन, नाच रहे मन
मुरली बजे अविराम
सबको खुशी रूहानी दे
कोर मेघा-पानी दे।