मेढक बोला- ‘टर्रम-टूँ
जरा इधर तो आना तू,
खाज़ लगी मेरे सिर में
जरा देखना कितनी जूँ!’
कहा मेढकी ने इतरा-
‘चश्मा जाने कहाँ धरा,
बिन चश्मे के क्या देखूँ
कहाँ कहाँ है कितनी जूँ!’
मेढक बोला- ‘टर्रम-टूँ
जरा इधर तो आना तू,
खाज़ लगी मेरे सिर में
जरा देखना कितनी जूँ!’
कहा मेढकी ने इतरा-
‘चश्मा जाने कहाँ धरा,
बिन चश्मे के क्या देखूँ
कहाँ कहाँ है कितनी जूँ!’