छाता ताने चला रात में, मेढक करने सैर,
बगुला भगत मिला जब उसको, लगा पूछने खैर।
बगुला बोला छाते से यह कैसी प्रीत लगाई,
तभी छींककर मेढक बोला-‘ओस पड़ रही भाई।’
छाता ताने चला रात में, मेढक करने सैर,
बगुला भगत मिला जब उसको, लगा पूछने खैर।
बगुला बोला छाते से यह कैसी प्रीत लगाई,
तभी छींककर मेढक बोला-‘ओस पड़ रही भाई।’