Last modified on 7 फ़रवरी 2009, at 23:35

मेरठ-3 / स्वप्निल श्रीवास्तव


सुबह से रो रही है चिड़िया

एक और चिड़िया

बाज ने उजाड़ दिया है

उसका घोंसला


कुछ बच्चों को चीथ डाला है

कुछ सहमे हुए दरख़्तों पर बैठे हैं

उन पर बन्दूक की आँख

लगी हुई है


मैं उस चिड़िया को बचाना

चाहता हूँ

कितना अच्छा हो मेरा घर

बन जाए उसका घोंसला