भाषावाद न क्षेत्रवाद, सबसे पहले जातिवाद
जिधर गया घर उनके पाया, बिखरा वहां समाजवाद
कोई नहीं समान किसी के, जातिवाद के सरहद में
बंटा हुआ हर राग रंग में, मानवता के सर का ताज
गुरूर नशें में चूर-चूर, भरपूर रहे वह घूम-घूम
गांव शहर बस यही बात, न संसाधन पर अपना राज
शहनाई संगीत की दुनिया, महफिल का आनंद तेरा
तेरा ही बस तेरा तेरा, मेरा क्या है गांव समाज
आज वही अफसाना तेरा, जंगल जमीं जल है सारा
बंगले गाड़ी कारखाने, धरती धनधान तेरा