Last modified on 18 जून 2017, at 22:39

मेरा डूबना / आनंद कुमार द्विवेदी

न जाने क्यूँ
यह मानने का मन ही नहीं करता
कि प्राण भारहीन होते हैं
या होते हैं सिर्फ हवा भर
क्योंकि,
एक तुम्हारे न होने से
कितना हल्का हो जाता हूँ मैं
कि आ जाता हूँ एकदम सतह पर
जैसे कोई लाश
तैरने लगता हूँ धारा के साथ
बिना किसी इच्छा के
इच्छाएँ...
निशानी हैं जीवन की
इनसे चिढो मत,
मसलन एक ये इच्छा
कि तुम भर जाओ मुझमे एक बार
और मैं डूब जाऊं
हमेशा के लिए !