मेरा प्रेम ताजमहल है
जिसे दूर-दूर से
लोग देखने आते हैं
और कौतुक करते हैं
इसके चारों तरफ़ घूम कर देखते हैं
इसके अन्दर और बाहर होते हैं
इसकी नक़्क़ाशी से
इसके समय की समृद्धि का
कयास लगाते हैं
इसके बग़ीचे में खड़े होकर
बैठकर हाथ टिका कर
लेटते हुए फ़ोटो खिंचाते हैं
इस पर दिख रही दरारों पर उंगलियाँ उठाते हैं
और इन्हें भर दिए जाने पर
मन ही मन चकित होते हैं
यह ताजमहल साल-दर-साल
शरद पूर्णिमाओं से गुज़र रहा है