जब मेरी आँखों में मोतियाबिन्द छा गया
मेरी हड्डियाँ निकल आईं
और पेट पीठ से चिपक गया,
जब मुझे दो क़दम चलना भी दूभर हो गया
और लेटे-लेटे भी खाँसी आने लगी
तब एक दिन अचानक
दोपहर की औंघा-नींदी में
मुझे दिखाई दिया वह डरावना आकार
जो हो-न-हो मेरा भूत था
और जो न जाने कब से मेरे साथ था ।