वेनिस
मेरे शहर
महसूस करती हूँ मैं तुम्हें
लहर दर लहर
सेतु दर सेतु
रहती हूँ मैं
बड़ी नहर पर बने
हर महल में
मेरी घण्टियों में
बजती हैं कविताएँ
मेरा वेनिस डूबता नहीं II
मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित
वेनिस
मेरे शहर
महसूस करती हूँ मैं तुम्हें
लहर दर लहर
सेतु दर सेतु
रहती हूँ मैं
बड़ी नहर पर बने
हर महल में
मेरी घण्टियों में
बजती हैं कविताएँ
मेरा वेनिस डूबता नहीं II
मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित