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मेरा संघर्श / रणवीर सिंह दहिया

गाम की नजरां के म्हाँ कै बस अड्डे पै आउं मैं॥
कई बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाऊँ मैं॥

भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या
करकै हिम्म्त चढ़णा सीखा
लड़भिड़ कढ़णा सीख्या, झूठ नहीं भकाऊँ मैं॥
बस मैं के-के बणै मेरी साथ
नहीं बता सकती सब बात
भोले चेहरे करैं उत्पात, मौके उपर धमकाऊँ मैं॥
दफतर मैं जी ला काम करूं
पलभर ना आराम कंरू
किंह किहं का नाम धरूं, नीच घणे बताऊँ मैं॥
डर मेरा सारा ईब लिकड़ गया,
दिल भी सही होंसला पकड़ गया,
जै रणबीर अकड़ गया, तो सबक सिखाऊँ मैं॥