बहुत बड़ी मेरी अलमारी,
चीजें उसमें रक्खीं सारी!
सबके ऊपर रक्खा बस्ता,
और बगल में है गुलदस्ता।
पास उसी के फोटू मेरा,
रसगुल्ले-सा दिखता चेहरा।
नीचे गाड़ी चाबी वाली,
गुड्डा रोज़ बजाए ताली।
रक्खी हँसने वाली गुड़िया,
खट-मिट्ठे चूरन की पुड़िया।
रंग-बिरंगी कई किताबें,
कुछ हैं बिल्कुल नई किताबें!
कुछ तो मेरा ज्ञान बढ़ातीं
कुछ है मेरा मन बहलाती!
बैट-बॉल है सबसे नीचे,
है मोबाइल-गेम भी पीछे!
तुम्हें दिखा दीं चीजे़े सारी,
अच्छा, बंद करूँ अलमारी,