Last modified on 10 अगस्त 2019, at 00:21

मेरी उदासी / मुकेश प्रत्यूष

एक पहाड़ी धुन सुनी
और मैं उदास हो गया

एक अल्हड़ क्वांरी नदी को
उतरते और झरते देखा
और मैं उदास हो गया

मैं उदास हो गया-
एक ताजा खिले फूल पर बैठे
मकरंद चूसते भौंरे को देखकर

मैं उदास हो गया-
घुटनों के बल चलते एक बच्चे को मुस्कुराते देखकर

तुम्हारी याद आई
और मैं उदास हो गया