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मेरी कविता (2) / मदन गोपाल लढ़ा


कभी कसक
पीड़ का उद्वेग कभी
सुख-दुख की अनुभूति
मनोंभावों का ज्वार भी
मेरे अन्तर की आँॅख
मेरी कविता
मेरे मजबूर मन की
व्यथा ही सही
मेरी पूँजी है।