वह मेरी सबसे पसंदीदा किताब थी जिसके पन्ने फाड़कर
तुमने लिफाफे बना लिए हैं इतने सारे
किसी में राशन के हिसाब और किसी मे बिल रखें हैं कर्तव्यों के जिन्हे
मुझे चुकाना है अंतिम तारीख से पहले पहले
कुछ रखे हैं लिफाफे सम्भाल कर अलबम बनाकर
जिनमे से खा डकार लिए गए हैं चटखारे और सतरंगी स्वाद
यह माँ ने दी थी कॉपी
कहा था मुझे, सहेजना इन पन्नों मे गार्हस्थ्य
मैने लिख मारी सब पर कविताएँ और काव्य सा गद्य
ऐसे थोडी होता है ! - तुमने कहा माथा ठोंक कर उस दिन -
बच्ची नही हो अब ! लिखना है तो दिल पर लिखो मेरे अपना प्यार !
लेकिन सुनो , इतना ज़रूर करते
कि फाडना ही था तो बीच से फाड़ते जोड़े में पन्ने
पिन से लगे हुए रहते हैं जो करीने से
तुमने आखिरी पन्ने नोच लिए हैं अनगढ जल्दी में
और देखो उनके फटने का इतिहास
मेरे यहाँ दर्ज हो गया है सदा के लिए
कोई कैसे पहुंच पाएगा अंतिम कविता तक कभी जिसे लिखना बाकी है अभी
इन पन्नों पर तो नही लिखी थी क्रम संख्या भी मैंने यह सोचकर
कि भला मेरी किताब से किसी को क्या लेना देना !
अब उखडे हुए कागज़ तरतीब से लगाकर
बनाती हूँ किताब तो कोलाज हो जाता है
इसलिए मैंने सहेज कर इन्हें जैसे तैसे अब लिख दिया है मुख पृष्ठ पर-
बच्चियो ! बन सकें तो इन फटे पन्नों से पतंगें बनाकर उड़ा लेना
जहाँ दीखती हो बुरी लगती टेप इन चिंदियों में वहाँ
ख्वाहिशों के चमकते जुगनू चिपका लेना
अपनी अपनी किताबों मे जो भी लिखना
पन्नों को फाडकर चाहे पोंछ लेना बैठने से पहले धूल बेंच की
लिफाफे बनने न देना कि जिनमें
कोई जमा करता रहे अपने हिसाब किताब के चिल्लर !