मेरी सूनी आँखों में
सजा देते हो
सतरंगी सपने
बस ये कह कर
तुम मेरी हो...
बिखर जाती है
मेरे आस पास
प्यार की खुशबु
तुम्हारे इतना ही
कहने भर से
तुम मेरी हो
दूर हो जाते है
उदासियों के अँधेरे भी
जब जलाते हो
विश्वास का तुम दिया
ये कहकर कि
तुम मेरी हो...
कामना के फूलों से
लहलहा जाता है
ये मरुथल भी
तुम्हारे ये कहने भर से
तुम मेरी हो...
टांक देती हूँ
अमा के आँचल में
चाँद, तारे मैं
तुम जो कह देते हो
तुम मेरी हो...
सच में मैं
तेरी हूँ सदा के लिए...