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मेरी हरी हरी चुड़ियों से बाहें भरी / हिन्दी लोकगीत

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मेरी हरी हरी चुड़ियों से बाहें भरी,
दादी देओ ना सुहाग बन्नी कब की खड़ी
ऐ सुहाग देगा राम जोड़ी हद की बनी
तेरे माथे में सिन्दुर मांग मोतीयां जड़ी
हे सुहाग देगा राम जोड़ी हद की बनी

मेरी हरी हरी चुड़ियों से बाहें भरी,
ताई देओ ना सुहाग बन्नी कब की खड़ी
ऐ सुहाग देगा राम जोड़ी हद की बनी
तेरे माथे में सिन्दुर मांग मोतीयां जड़ी
हे सुहाग देगा राम जोड़ी हद की बनी

मेरी हरी हरी चुड़ियों से बाहें भरी,
मम्मी देओ ना सुहाग बन्नी कब की खड़ी
ऐ सुहाग देगा राम जोड़ी हद की बनी
तेरे माथे में सिन्दुर मांग मोतीयां जड़ी
हे सुहाग देगा राम जोड़ी हद की बनी

मेरी हरी हरी चुड़ियों से बाहें भरी,
चाची देओ ना सुहाग बन्नी कब की खड़ी
ऐ सुहाग देगा राम जोड़ी हद की बनी
तेरे माथे में सिन्दुर मांग मोतीयां जड़ी
हे सुहाग देगा राम जोड़ी हद की बनी