मेरा लोकतंत्र तेरी क्या दशा ह्वै
मेरा देश की या कनी दुर्दशा ह्वै ।
एकता भाईचारा समता का आदर्श,
जाणि किलै हमरा सुपिणा ही रै ।।
पैली छोटा-छोटा प्रांत मिलाया देश मा,
एकता-प्रेम का फूल खिलाया देश मा ।
हिन्दु कु मुसलमानु कु प्यार घर-घर
बोद्ध जैन इसाई भी मिलाया देश मा ।।
आज कख वा संस्कृति ख्वै गै ??
जाणि किलै हमरा सुपिणा ही रै ।।
नेता बणना छ अब कुर्सी का खातिर
देश-प्रदेश जनता की कैनी छ फिकर ?
भरणा छ घर जनता का खून सी
सदाचार विवक तैं मारि क ठोकर ।।
जनता बिचारी देखदी रै गै ।
जाणि किलै हमरा सुपिणा ही रै ।।
लोगों तैं दियूं बोलणा कु अधिकार
लोगों तैं मिल्यूं चुनणा कु अधिकार ।
देश पर नी कै एका कु अधिकार
सेवक छ जनता की जू बणी छ सरकार ।।
सेवक ही हमारा मालिक जसा ह्वै ।
जाणि किलै हमरा सुपिणा ही रै ।।
देश मां छप्यां छ विकासु का परचा
बाथरूमु पर होणा लाखों का खरचा ।
मंत्री अधिकारी, राजा का नामु का
जख-तख होणा घोटालू का चरचा ।।
शास्त्री पटेल जना नेता कख गै ??
जाणि किलै हमरा सुपिणा ही रै ।।
खून भगायी थै जीं आजादी खातिर
देश की खुशी समृद्धि खातिर ।
जान की बलि दी गै जु वीर जवान
करीक रै प्रण पूरू अपणु आखिर ।
रोंदा होला आज ये भारत देखी कै दृ
जाणि किलै हमरा सुपिणा ही रै ।।
उठा जागा कर्म करा यार दोस्तों,
जाणा, पछाणा ल्यावा अधिकार दोस्तों ।
विचारू की सरकारू की गुलामी छोड़ा
नयी क्रांति कु ह्वै जावा तैयार दोस्तों ।।
तुमारा प्रयासु सी ही जितणी या लड़ै .....
जाणि किलै हमरा सुपिणा ही रै ।।
नी करा गलत नी गलत होण द्या
नी रोया एखुली नी हौरू रोण द्या ।
चुपचाप नी बैठ्या कै अत्याचार होण पर
भ्रश्टाचारियों तैं न भगवान रौण द्या ।।
उठा प्यारा दगड़्यों लड़ा यीं लडै ..
पूरा करा अपड़ा अधूरा सुपिणा थैं ।।