मेरे गर्भ में रहना
स्त्री या पुरुष होकर मत आना
न ही किन्नर
बाहर चरित्र तौलने के बड़े-बड़े तराज़ू लगे हैं
जीभ की बाट पर तौले जाओगे तुम
धर्मयुद्ध में ख़र्च हुआ
एक मात्र सामान नैतिकता के बट्टें थे
गर्भ की दीवार बहुत कोमल है
रौशनी वहाँ कम है
यहाँ की दीवारें सख़्त
रौशनी सिर्फ़ और सिर्फ़ आँखें चौंधियाने वाली
तुम वहीं रहना चूसना मेरे कोख में उपलब्ध रस
मैं कविता सुनाऊँगी
तुम सुनना
अपनी उंगली से मेरे शिशु
कोख की अंतः भित्ति पर लिखना
तुम कविता
मैं अंतः सिक्त और पुनर्जीवित होना चाहती हूँ
मैं स्वार्थी नहीं हूँ
यहाँ बाहर कुछ भी ठीक नहीं है
मैं जेल में हूँ
कंठ में घिस कर तेज हो चुका है इंकलाब
और गर्भ में हो तुम