मेरे दामन में काँटे हैं, मेरी आँखों में पानी है
मगर कैसे बताऊँ मैं ये किसकी मेहरबानी है
खुला ये राज़ मुझ पर ज़िंदगी का देर से शायद
तेरी दुनिया भी फानी है, मेरी दुनिया भी फ़ानी है
वफ़ा नाज़ुक सी कश्ती है ये अब डूबी कि तब डूबी
मुहब्बत में यकीं के साथ थोड़ी बदगुमानी है
ये अपने आइने की हमने क्या हालत बना डाली
कई चेहरे हटाने हैं, कईं यादें मिटानी हैं
तुम्हें हम फासलों से देखते थे औ'र मचलते थे
सज़ा बन जाती है कुरबत, अजब दिल की कहानी है
मिटा कर नक्श कदमों के, चलो अनजान बन जाएँ
मिलें शायद कभी हम-तुम, कि लंबी ज़िंदगानी है
ये मत पूछो कि कितने रंग पल-पल मैंने बदले हैं
ये मेरी ज़िंदगी क्या, एक मुजरिम की कहानी है
किताबे-उम्र का बस इक सबक़ ही याद है मुझको
तेरी कुर्बत में जो बीता वो लम्हा जावेदानी है
वफ़ा के नाम पर 'श्रद्धा' न हो कुर्बान अब कोई
कहानी हीर-रांझा की पुरानी थी, पुरानी है