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मेरे बाप का बेटा / लाल्टू

मेरे बाप को मरे इस दिन चार साल हो गए

बाप
पियक्‍कड़ मज़दूर
माँ को लातें मारता

शराब की महक के साथ
गालियाँ होंठों से निकलतीं
गोलियों की बौछार-सी

जहाँ मर्ज़ी मूत देता
कभी-कभी
सारी-सारी रात
जगे रहते हम

मज़दूर बाप मेरा
शहर के गन्‍दे नालों-सा सच
थप्‍पड़ मार-मार कोशिश की
मैं पढ़ूँ
बन जाऊँ साहबों-सा पैसे वाला
गन्‍दगी ने बनाया मुझे
खौलता सच्‍चा इंसान।