मेरे भीतर
जो चुप -सी नदी बहती है
वेग नहीं, किन्तु आवेग है इसमें
बहुत वर्षों से-
डुबकी लगा रही हूँ
अपने को खोज न सकी अब भी
न जाने किस आधार पर
मैं अपने जैसे-
एक साथी की खोज में थी।
मेरे भीतर
जो चुप -सी नदी बहती है
वेग नहीं, किन्तु आवेग है इसमें
बहुत वर्षों से-
डुबकी लगा रही हूँ
अपने को खोज न सकी अब भी
न जाने किस आधार पर
मैं अपने जैसे-
एक साथी की खोज में थी।