Last modified on 17 नवम्बर 2020, at 22:08

मेरे भीतर आभास तुम्हारा / रामगोपाल 'रुद्र'

मेरे भीतर आभास तुम्हारा
ऐसी छवि पाता है
काले बादल की ओट, चाँद
पूनम का मुस्काता है!