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मेरे सामने है / कुँअर रवीन्द्र

मेरे सामने है
एक दृश्य
या उसका चेहरा

बेहद कोमल रंगों से भरा
मगर
एक लम्बी अन्तहीन दूरी
और सन्नाटे की काली लकीर भी
झुर्रियों की तरह खिंची हुई है

मेरे सामने है
उसका चेहरा
या एक दृश्य

छुअन से लजाई
एक किनारे सिमटी ,बहती नदी
मिलन की प्रफुल्लता से भरा
क्षितिज
और ..
नई सृष्टि की कल्पना में
अपलक आकाशगंगा को निहारता
क्रौंच का एक जोड़ा भी

मेरे सामने है
एक चेहरा एक दृश्य
और ..
पृथ्वी से आकाशगंगा की दूरी