मेले में आई हैं
साधारण सी औरतें-लडकियाँ
जिन्हें काम होता है ज्यादा
और सजने-सँवरने को
वक्त और साधन कम
वे तो हैं बहुत कम
जिनके लिए हर दिन
मेले के जैसा होता है
हाँ, उनके घरों से
लडके जरूर पहुँचे हैं
मारने के लिए
कुहनियाँ-कंधे।
मेले में आई हैं
साधारण सी औरतें-लडकियाँ
जिन्हें काम होता है ज्यादा
और सजने-सँवरने को
वक्त और साधन कम
वे तो हैं बहुत कम
जिनके लिए हर दिन
मेले के जैसा होता है
हाँ, उनके घरों से
लडके जरूर पहुँचे हैं
मारने के लिए
कुहनियाँ-कंधे।