Last modified on 8 मार्च 2021, at 23:45

मैंने अपराध किया है / केदारनाथ अग्रवाल

मैंने अपराध किया है
चांद को चूमकर लजा दिया है
दंड दो मुझे
केश-कुंज के तमांध में
क़ैद रहने का

(रचनाकाल : 30.05.1964)