मैंने कब चाहा था
कि लिखंगा कविता एक दिन!
टकरा कर पहाड़ से
जब लौटने लगे वापस
मेरे शब्द
उतारने लगा उन शब्दों को मैं
कागज पर
अब जानने लगा हूँ मैं
कि कैसे अवतरित होती है
कविता।
मैंने कब चाहा था
कि लिखंगा कविता एक दिन!
टकरा कर पहाड़ से
जब लौटने लगे वापस
मेरे शब्द
उतारने लगा उन शब्दों को मैं
कागज पर
अब जानने लगा हूँ मैं
कि कैसे अवतरित होती है
कविता।