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मैंने पीना छोड़ दिया / प्रमोद तिवारी

अपनी दुनिया में
अब अपने ढंग से
जीना छोड़ दिया
सबको बहुत शिकायत थी
लो मैंने पीना छोड़ दिया

छोड़ दिया लहराकर गाना
और झूमना मस्ती में
मझधारों में खूब तैरना
और डूबना कस्ती में
तट केखातिर
बीच भँवर में
फंसा सफीना छोड़ दिया

सुबह समय पर
सोकर उठना
रात समय पर
सो जाना
और जरूरत के मौके पर
अनायास ही खो जाना
इसकी उसकी
फटी चदरिया
मैंने सीना छोड़ दिया

भूला दिल की
बोली बानी
होश में हरदम रहता हूँ
जो सुनना है
बस उतना ही कहता हूँ
इतना हुनर सीखने भर में
घड़ों पसीना छोड़ दिया

मुल्ला-पंडित
गिर-गिर पड़ते
पर दीवाना नहीं गिरा
चाहे जितना
नशा रहा हो
पर पैमाना नहीं गिरा
इसीलिए तो
काशी, मथुरा
और मदीना छोड़ दिया

चाहे जितनी प्यास रही हो
झुककर सागर
नहीं छुआ
जिसमें गहराई
कम देखी
उसका क़तरा नहीं पिया
मैखाने का हमने करके
चौड़ा सीना छोड़ दिया