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मैंने समझदारी की / नवीन सागर

चाकू को चाकू
और
हत्‍या को हत्‍या
कहने से मैं बचा.

मैंने दोनों को पहचाना
अनजान बना रहा
काम से काम रखते हुए
समय पर घर आते हुए
एक दिन मेरे पीछे चाकू
आगे-आगे हत्‍या.

मैं बहुत घबराया
घबराते हुए मैंने समझदारी की
जहां से आ रहा था
वहीं को जाने लगा
जब चाकू मेरे आगे-आगे
पीछे हत्‍या है

जहां मुझे जाना थ
वहां से ठीक उल्‍टी तरफ
जाता हुआ मैं समझता हूं कि अभी
मुस्‍करा रहा हूं

मैं घर जा रहा था
इस तरह भी घर जा रहा हूं
घर से पहले चाकू घुसा
फिर मैं भीतर
बाहर मेरे बंद दरवाजे पर हत्‍या.