मैं - एक दीया
आस्था औ' विश्वास का तेल
भावना की बाती
चेतना की आग
सबका मेल
जलाती है मेरे जीवन की शिखा;
फिर चुकता जाता है तेल
जलती जाती है बाती
धीमी पड़ती है शिखा
और शेष बचता हूँ
मैं - एक दीया।
मैं - एक दीया
आस्था औ' विश्वास का तेल
भावना की बाती
चेतना की आग
सबका मेल
जलाती है मेरे जीवन की शिखा;
फिर चुकता जाता है तेल
जलती जाती है बाती
धीमी पड़ती है शिखा
और शेष बचता हूँ
मैं - एक दीया।