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मैं अपनो मन-भावन लीनौं / रसिक बिहारी

मैं अपनो मन-भावन लीनौं, इन लोगन को कहा न कीनौं।
मन दै मोल लयौ री सजनी, रतन अमोलक नन्ददुलारे॥
नवल लाल रंग भीनो।
कहा भयो सब के मुख मोरे, मैं पायो पीव प्रबीनौं।
 'रसिकबिहारी' प्यारो प्रतीम, सिर बिधनां लिख दौनौ॥