मैं उसे खोजता हूँ / केदारनाथ अग्रवाल




मैं उसे खोजता हूँ

जो आदमी है

और

अब भी आदमी है

तबाह हो कर भी आदमी है

चरित्र पर खड़ा

देवदार की तरह बड़ा


(रचनाकाल : 31,10.1966)

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