मैं एक अमलतास / अमरजीत कौंके

उदासी की
गहरी बरसात में भीगता
आता हूँ तुम्हारे पास
निपट अकेला
बेहद तन्हा

लेकिन
तुम्हारे पास से लौटता हूँ जब
तो अकेला नहीं होता मैं
होता हूँ
जैसे वृक्ष कोई अमलतास का
फूलों से लदा
महकता
पवन में हिलोरे लेता

लौटता हूँ जब
तुम्हारे पास से
तो तन्हा नहीं होता

तुम्हारे
हृदय का संगीत
तुम्हारी आवाज़ का भीगापन
तुम्हारी सांसों की खुशबू
तुम्हारा काँपता स्पर्श
कितना कुछ
लौटता है साथ मेरे

लौटता हूँ
तुम्हारे पास से जब
तो अकेला नहीं होता मैं
तन्हा नहीं होता मैं

फूलों से लदा
लहलहाता
एक अमलतास होता हूँ।

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