पिया के घर
जब भी बिछाती हूँ
पलंग पर चादर
दिल करता है
अपने मन के रंग
उकेर दूँ उस पर
पर नहीं भाती
उन्हें ये कल्पनाएँ
और न ही ऐसी चादर।
भर दे,
उत्साह से जो
उन्हें बैठते ही
इसलिए
उनके मन की पसंद बिछाती हूँ
बिस्तर पर
दोनों ही उनकी मनपसंद
मैं और चादर।