Last modified on 3 अप्रैल 2019, at 19:37

मैं क्यों लिखता हूँ / संजय कुंदन

वर्णमाला सीखने के साथ ही मेरा लेखन भी शुरू हो गया। शायद इसलिए कि घर का माहौल साहित्यिक था। साहित्य रचना लिखने-पढ़ने का ही हिस्सा था। जिस तरह बच्चे पहाड़ा या कविताएँ रटते और सीखते हैं, ठीक उसी तरह मैंने कहानी-कविता लिखना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे यह मेरे स्वभाव का हिस्सा हो गया। साहित्य की स्थिति मेरे जीवन में एक मित्र जैसी हो गई। यह मेरे एकान्त का साथी बन गया। यह एक तरह से प्रति संसार बन गया।

मैं अपने मूल जीवन में अपने को थोड़ा मिसफ़िट मानता रहा. इस जीवन के संघर्ष में लेखन से मुझे ताक़त मिली है। लेखन मेरे लिए एक शैडो-लाइफ़ है जहाँ मैं अपना गुस्सा, अपनी खीझ उतार सकता हूँ। मैं ठठाकर हँस सकता हूँ उन सब पर, जिन पर वास्तविक जीवन में नहीं हँस पाता, या ख़ुद अपने आप पर। मेरे भीतर बहुत ज़्यादा नफ़रत है, बहुत ज्यादा गुस्सा है। उन सबको लेखन में ही उतारता रहता हूँ। अगर ऐसा न करूँ तो मेरे भीतर की घृणा मुझे नष्ट कर डालेगी। इसलिए मैं हमेशा रचनारत रहना चाहता हूँ। ईमानदार और सहज लोगों के प्रति मेरे मन में गहरा लगाव है। मैं वैसे चरित्रों की रचना कर, उनके सँघर्ष की कथा कहकर एक सन्तोष पाता हूँ।

दरअसल इस तरह मैं अपनी ज़िन्दगी को ही फिर से रचता हूँ। यह पुनर्रचना मुझे एक सन्तोष देती है। मुझे जो कहना होता है वह मैं साफ़-साफ़ कहता हूँ। यह वह भाषा है, जिससे मैं ख़ुद से बात करता हूँ। मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि यह समकालीन कविता की भाषा है या नहीं। मेरी कविताएँ, कविता की कसौटी पर खरी उतरती हैं या नहीं, यह भी मेरे लिए कोई मुद्दा नहीं है। साहित्य से मुझे जो पाना है, उसका सम्बन्ध मेरे आन्तरिक जीवन से है, बाह्य जीवन से नहीं। साहित्य की वजह से ही मैं जीवित हूँ, इससे ज़्यादा और क्या चाहिए !

मेरा सरोकार साहित्य से है, साहित्य संसार से नहीं। हाँ, यह उत्सुकता मेरे भीतर जरूर रहती है कि यथार्थ की पुनर्रचना के जरिए मैं किसी को अपने समय को समझने में मदद कर पा रहा हूँ या नहीं ? अगर ऐसा थोड़ा-बहुत भी हो रहा है तो यह मेरे लेखन की सार्थकता है यानी मेरा लिखना मुझे ही नहीं कुछ और लोगों के भी काम आए। बस, इसीलिए मैं अपनी कविताओं के प्रकाशन में रुचि लेता हूँ ।

राजनीति मेरे लिए बेहद अहम है क्योंकि यह सामाजिक जीवन की जटिलता और विभिन्न स्तरों पर चल रहे संघर्षों को समझने का एक सूत्र देती है। इसी के जरिए मानवीय शोषण के विविध रूपों को भी पहचानने का अवसर मिलता है। एक बेहतर जीवन की खोज की लड़ाई एक राजनीतिक लड़ाई भी है। इसलिए मेरी कविताएँ राजनीति के विविध स्तरों को उद्घाटित करने का भी काम करती हैं। शोषकों को बेनक़ाब करते हुए मैं शोषित आम आदमी के सँघर्ष को आगे बढ़ाने की कोशिश करता हूँ। यह काम मैं सामान्य जीवन में नहीं कर पाता। सम्भव है, कभी भविष्य में करूँ भी, लेकिन मेरी यह इच्छा फ़िलहाल कविता के माध्यम से पूरी हो रही है। इस दृष्टि से भी मेरा लेखन मेरे लिए महत्वपूर्ण है।