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मैं तथा मैं (अधूरी तथा कुछ पूरी कविताएँ) - 19 / नवीन सागर

हर तरफ जाता
हर तरफ से आता हुआ हारा
तुम्‍हारे पास आया जहॉं
तुम नहीं थे.

बार-बार ऐसा होने से
जीवन पूरा होगा इस बार.