मैं बिना उठे, बिना जागे
बिना सोये, कुछ भी महसूस किए बग़ैर
दौड़ सकता हूँ
तुम्हारी समुन्दर वाली लहरों की तरफ़
जो तुम्हारा घर है
जानते हुए कि
मुझे तैरना नहीं आता
डूब सकता हूँ
आता हूँ तुम्हारी तरफ़
यह हुनर या कलाबाज़ी नहीं
जिसे प्रस्तुत करता हूँ
बल्कि मैं गंध लेता हूँ
तुम्हारे भींगे केशों की
उन होंठों की जो प्रायः मृत अवस्था में
जीवित हैं
उन पर जमी सूखी पपड़ी
अवरोध उत्पन्न करती है हमारे बीच
और मैं भर देता हूँ तुम्हें गीले चुम्बनों से
मैं तुम्हें बिना शब्दों और बिना नींद के
देखता हूँ एकटक
मैं तुम्हें आवाज़हीन सुनता हूँ
मैं छूता हूँ तुम्हें डूबते हुए
डूबते हुए बाहर नहीं आना चाहता
बस वहीं एक क़ब्र
और उस पर उग आई घास पर
तुम्हारे आँसुओं की नमी
और खारेपन का अहसास जमा रहे
मैं कुछ नहीं चाहता
सिवाय तुम्हें प्यार करने के ख़्याल से
भरी इस पृथ्वी पर
पराजित होने के