मैं सोचती हूँ
उन सब के बारे में
जो मेरे सफर के साथी हो सकते थे
फिर सफर कहाँ रह पाता सफर
बीत जाता वक्त, लड़ने समझने में
क्या फिर घूँट-घूँट पी पाती सफर को?
मैं सोचती हूँ
उन सब के बारे में
जो मेरे सफर के साथी हो सकते थे
फिर सफर कहाँ रह पाता सफर
बीत जाता वक्त, लड़ने समझने में
क्या फिर घूँट-घूँट पी पाती सफर को?