♦ रचनाकार: अज्ञात
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मोती हजार जड़े नथनी में।
ठंडे से पानी गर्म कर लाये,
तुम सपरो हम ठांड़े बखरी में। मोती...
सोने की थाली में भोजन परोसे,
तुम जेलो हम ठांड़े बखरी में। मोती...
सोने की झाड़ी गंगा जल पानी,
तुम पीलो हम ठांड़े बखरी में। मोती...
लोंगन कील-कील बीड़ा लगाये,
तुम चाबो हम ठांड़े बखरी में। मोती...
चुन-चुन कलियां सेजें लगाऊं,
तुम सोलो हम ठांड़े बखरी में। मोती...