महानदी के पार, राजीवलोचन के घाट।
मोर नानकुन गांव येहर, दाई दादा मोर इंहा के किसान
भैया मोर करथे गा, खेते के काम ला,
बहिनी मोर रांधे वो दार साग भात ला।
ददा संग जाते मोर दाई घलो काम मा,
भूइयां ला रचाथे दूनों पानी आऊ घाम मां॥
लहर लहर लहराथे धान......
पोरा दसेरा देवरी अऊ होली।
नाचय अउ गावय संगी साथी के टोली।
सुवा गीत गाथे दाई दीदी मन झुमके।
राऊत घलो नाचे गा। झूमर झूमर झुमके।
ले लेके करमा के तान...
संझा के बेरा कऊंगा करे कांव।
बिन बोले बताये दूरा चल देहे गांव॥
कलप-कलप के दूरी ह रोथे
मन के दरिद ला ओहर आंसू मं धोवै
विधना के बैरी विधान .....