Last modified on 17 जुलाई 2022, at 15:48

मोहरत / चंद्रप्रकाश देवल

उणरै चित्त रै भंवारै
भर्यौ है निरौ सारौ कबाड़
धूड़-धमासौ-संदवाय
भेळमभेळ
ओळूं रा पैल
बारै काढै तौ वा इतियास बण जावै
मांय राखै तौ चूंट-चूंट खावै

वौ आपरी काया रै ‘आतप’ री सीटी
उडीकै
बाफ निकळण रौ हाल नीं आयौ
मोहरत
वौ विजोग री झाळां मांय बैठौ-बैठौ
कायौ व्हैग्यौ।