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मोह नसाय / चंद्रप्रकाश देवल

थारै सारै है सिंवरणौ
निरवांण कोनीं
थारै सारै है उडीकणौ
आंण-जांण कोनीं

जूंण नै मत कसाय
नसाय-मोह नसाय।