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मौज़ूदगी / आस्तीक वाजपेयी

जब चन्द्रमा की आहट
आसमान में होती,
चिड़ियों के शोर और
पत्तियों की सरसराहट के बीच,
हम तालाब के किनारे
अब फिर टहल रहे हैं ।

अब पता चला,
इस समय की मौज़ूदगी
के लिए हमारी नामौजूदगी
ज़रूरी थी ।